हंस चुगेगा दाना तिनका, कौआ मोती खायेगा

हंस चुगेगा दाना तिनका, कौआ मोती खायेगा

इसका मूल अर्थ है कि सही और बुद्धिमान व्यक्ति (हंस) हमेशा सही चुनाव करेगा (दाना-दुनका), जबकि मूर्ख या अयोग्य व्यक्ति (कौआ) मूल्यवान चीजों (मोती) की कद्र नहीं करेगा और उन्हें व्यर्थ में बर्बाद करेगा । यह कहावत विपरीत स्वभाव और योग्यता के आधार पर चुनाव करने/न करने की हमारी प्रवृत्ति को दर्शाती है ।
आजाद भारत के 78 वर्ष के इतिहास ने यह साबित कर दिया है कि धर्म व जाति आधारित व्यवस्था को चुनाव हमने किया है, वो हंसों को दाना तथा कौओं को मोती चुगाने जैसा ही है ।
हम बुद्धिमान हंस होकर हमारी व्यवस्था, सुख-सुविधा का जिम्मा योग्य जनप्रतिनिधियों का चुनाव कर, उन्हें दे सकते थे । लेकिन, धर्म व जाति आधारित राजनीति के कंकड-पत्थरों को चुनकर हमने अयोग्य व्यक्तियों के हाथ में अपनी लगाम सौंप दी । अब कौए सत्ता-सुख के मोती खा रहे हैं । और हम हंस दाना दुनका चुग रहे हैं । 🤷‍♀️
प्रभु राम ने यह केवल सीता से नहीं कहा था । उन्होंने हमें भी सावचेत किया था कि हम स्वभाव व योग्यता के आधार पर हमारे माननीयों का चुनाव करें । मूर्खताओं के आधार पर नहीं ।
हमने मूल्यवान मोतियों (ईमानदार व योग्य लोगों) को कूड़े में फैंक दिया है और बेईमानों को अपने सिर पर बैठा लिया है ।

अब पछताए, क्या होत ❓
जब कौए, चुग गए खेत ❗

राम के नाम से, जीवन में
परिवर्तन नहीं आयेगा ।

राम के दिखाए मार्ग पर
चलने परिवर्तन आयेगा ।इसका मूल अर्थ है कि सही और बुद्धिमान व्यक्ति (हंस) हमेशा सही चुनाव करेगा (दाना-दुनका), जबकि मूर्ख या अयोग्य व्यक्ति (कौआ) मूल्यवान चीजों (मोती) की कद्र नहीं करेगा और उन्हें व्यर्थ में बर्बाद करेगा । यह कहावत विपरीत स्वभाव और योग्यता के आधार पर चुनाव करने/न करने की हमारी प्रवृत्ति को दर्शाती है ।
आजाद भारत के 78 वर्ष के इतिहास ने यह साबित कर दिया है कि धर्म व जाति आधारित व्यवस्था को चुनाव हमने किया है, वो हंसों को दाना तथा कौओं को मोती चुगाने जैसा ही है ।
हम बुद्धिमान हंस होकर हमारी व्यवस्था, सुख-सुविधा का जिम्मा योग्य जनप्रतिनिधियों का चुनाव कर, उन्हें दे सकते थे । लेकिन, धर्म व जाति आधारित राजनीति के कंकड-पत्थरों को चुनकर हमने अयोग्य व्यक्तियों के हाथ में अपनी लगाम सौंप दी । अब कौए सत्ता-सुख के मोती खा रहे हैं । और हम हंस दाना दुनका चुग रहे हैं । 🤷‍♀️
प्रभु राम ने यह केवल सीता से नहीं कहा था । उन्होंने हमें भी सावचेत किया था कि हम स्वभाव व योग्यता के आधार पर हमारे माननीयों का चुनाव करें । मूर्खताओं के आधार पर नहीं ।
हमने मूल्यवान मोतियों (ईमानदार व योग्य लोगों) को कूड़े में फैंक दिया है और बेईमानों को अपने सिर पर बैठा लिया है ।

अब पछताए, क्या होत ❓
जब कौए, चुग गए खेत ❗

राम के नाम से, जीवन में
परिवर्तन नहीं आयेगा ।

राम के दिखाए मार्ग पर
चलने परिवर्तन आयेगा ।

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