हरियाणा चुनाव परिणाम को लेकर बोले अशोक गहलोत
कहा-कांग्रेस आलाकमान ने हार को गंभीरता से लिया, खड़गे और राहुल गांधी ने सभी से फीडबैक लिया, कांग्रेस कारणों की गंभीरता से जांच करेगी, कोई भी हरियाणा में हार मानकर नहीं चल रहा था, हमने चुनाव आयोग से भी शिकायत की
हार-जीत का निर्णय मानकर चलने से नहीं किया जा सकता । संसार की जितनी भी स्पर्द्धाएं हैं, उनमें हार-जीत मानकर चलने से तय नहीं की जा सकतीं । जीतने के लिए अपनी योग्यता का सब-कुछ न्यौछावर करना पड़ता है । योग्यता के प्रदर्शन से ही हार-जीत का निर्णय होता है ।
मानकर चलने से भारत विश्व-विजेता नहीं हो जाता ।
मानकर चलने से फोगाट को गोल्ड मैडल नहीं मिल सकता ।
राजनीतिक खेलों में वोट तय करते हैं कि, कौन जीता ? कौन हारा ?
मानकर चलने व जानने की ही प्रक्रिया को चुनाव कहा जाता है । मानकर चलने से सरकारें नहीं बनाई जा सकतीं । सरकार किसकी बने, यह जानने के लिए मतदान होता है । मानने और जानने के अंतर को समझें ।
हर हार के बाद चुनाव आयोग व ईवीएम की धांधली पर रूदन उचित नहीं । धांधली के आरोप लगाने व धांधली प्रमाणित करने में जमीन-आसमान का अंतर होता है ।
विश्व के तमाम विशेषज्ञ टेक्नोलॉजिस्ट अभी तक धांधली सिद्ध नहीं कर पाए हैं । अंतर्कलह कांग्रेस की हार का बड़ा कारण कहा जा सकता है । परन्तु बार-बार चुनाव आयोग या ईवीएम पर ठीकरा फोड़ना, अपनी स्वयं की कमजोरियों से मुंह मोड़ना ही समझा जायेगा ।जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम, चुनाव आयोग व ईवीएम की धांधली की शिकायतें-आरोपों को स्वतः ही गलत सिद्ध होने के प्रमाण हैं ।